Sunday, July 24, 2011

दबंग

जब


शालीन सोच

हट के वज़न तले

लिहाज़ कर

दब जाती है


तब


दबंग सोच

खुले आम

गुर्रा गुर्रा कर

सबको भरमाती है

45 comments:

kshama said...

Bilkul theek farmaya!

मनोज कुमार said...

आपकी इस रचना की भावना से पूरी सहमति है। आपने बिल्कुल सही कहा है।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

दबंग सोच

खुले आम

गुर्रा गुर्रा कर

सबको भरमाती है

बिल्कुल सही लिखा है ...

प्रवीण पाण्डेय said...

यदि किसी की मर्यादा किसी की असभ्यता को आश्रय देती है तो व्यवहार विचारणीय हो जाता है।

Bharat Bhushan said...

अगर दबंग सोच शालीनता की भाषा नहीं समझती तो चुनौती देनी ही होगी.

संजय भास्‍कर said...

......बहुत उम्दा रचना है जी

Vivek Jain said...

सच्ची बात कही है आपने,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

Anonymous said...

बिलकुल सही
जो "लिहाज" करता है उसे दबना पड़ता है

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

आज 25- 07- 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....


...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
____________________________________

Arvind kumar said...

sahi farmaaya hai aapne...
pahli bar pda hai aapko...
achha laga...

mere blog par aapka swaagat hai...

mridula pradhan said...

bahut achcha laga.....padhkar.

vandana gupta said...

बिल्कुल सही बात कही है।

सदा said...

बहुत सही कहा है आपने ...आभार ।

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

सरिता दी,
तस्वीर भले बदल गयी हो आपकी या विलम्ब हुआ हो..लेकिन सुर अभी भी वही हैं.. प्रेरक और चिंतन को जन्म देने वाले.

Satish Saxena said...

मैं आपसे सहमत हूँ , हर जगह यही दिखाई देता है ! शुभकामनायें आपको !

S.N SHUKLA said...

यथार्थ में कविता और कविता में यथार्थ , सुन्दर

शूरवीर रावत said...

शालीनता और दबंगता के बीच के फासले को परिभाषित करती एक अच्छी पोस्ट. आभार !

Dr (Miss) Sharad Singh said...

सच को दर्शाती सुन्दर कविता...

मुकेश कुमार सिन्हा said...

aapne to di...dabangayee dikha di:)

दिगम्बर नासवा said...

सत्य वचन ... और अगर दबंग पर शालीन सोच हो तो फिर नयी बात हो जायगी ..
सटीक लिखा है आपने ..

कविता रावत said...

दबंग सोच
खुले आम
गुर्रा गुर्रा कर
सबको भरमाती है
...ekdam sateek baat kahi aapne!
Profile mein Nayee photo bahut achhi lagi..

Dr Varsha Singh said...

दबंग सोच ...सटीक रचना ....

Shaivalika Joshi said...

Really Dabang

केवल राम said...

सही है जब जमाना सच्चाई से मुंह फेर लेता है तो यही हाल होता है ....बहुत सुंदर शब्दों में आपने सच्चाई के महत्व को उजागर किया है....!

Urmi said...

बहुत सुन्दर और सटीक लिखा है आपने! शानदार रचना!

महेन्‍द्र वर्मा said...

शालीन सोच और दबंग सोच का बढ़िया चित्र प्रस्तुत किया है आपने।

डॉ. मोनिका शर्मा said...

दबंग सोच
खुले आम
गुर्रा गुर्रा कर
सबको भरमाती है

विचारणीय ...अर्थपूर्ण पंक्तियाँ

Sunil Kumar said...

सटीक लिखा है आपने ..

Satish Saxena said...

आपका नया फोटो अच्छा लगा ....
शुभकामनायें आपको !

virendra sharma said...

खूब सूरत अंदाज़े बयाँ.भाव सौन्दर्य प्रधान रचना .खूब सूरत मनोहर .संक्षिप्त लेकिन आकर्षक रचना .

virendra sharma said...

धडकनें बढ़ ही जातीं हैं ,
मन शान्ति हो जाती है भंग ।
सृजन को उकसाती कविता ।
आपकी त्वरित प्रतिकिर्या का आभारी हूँ .

sm said...

very well said

Suman said...

bilkul sahi kaha hai........

kanu..... said...

ek dam sahi kaha aapne.
www.meriparwaz.blogspot.com

virendra sharma said...

रंग कविता भी बहुत ज़ोरदार लगी .

RAJWANT RAJ said...

didi , lekin kb tk

vo subha kbhi to aayegi .

ज्योति सिंह said...

bilkul sahi kaha aapne ,sundar .

विभूति" said...

bilkul sahi khah aapne....

विभूति" said...

bilkul sahi khah aapne....

Dorothy said...

मेरे ब्लाग पर आने के लिए धन्यवाद...
बेहद सटीक और सार्थक अभिव्यक्ति. आभार.
सादर,
डोरोथी.

देवेन्द्र पाण्डेय said...

सत्य वचन।

Yashwant R. B. Mathur said...

कल 03/08/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

निर्मला कपिला said...

bilakul sahee kahaa. shubhakamanayen

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

सच कहा आप ने- सुन्दर तुलनात्मक विवरण शालीनता और उधर दबंग का आँखें खोलना -
भ्रमर ५

Roshi said...

bahut sunder rachna hai.........