Wednesday, June 30, 2010

संशय और मै

जब मैंने लिखना शुरू किया था आज से करीब एक साल पहिले तब अचानक ये संशय कंहा से मेरे पास चला आया । कभी कुछ जीवन मे लिखा नहीं था तो झिझक रहना स्वाभाविक था पर संशय ये आत्म बल क्षिण कर देता है इसी भाव को लेकर कुछ पंक्तिया तब लिखी थी पर उन्हें किसी ने भी नहीं पढ़ा इसीसे फिर पोस्ट करने की जुर्रत कर रही हूँ

संशय
ये अगर
जीवन में
घुस आए

आत्मबल
ध्वंस करके
ही जीवन मे
इसे चैन आए

ठीक नहीं
इसको
ठौर देना
पालना

दृढ रह कर
ठीक रहेगा
इसको सदैव
टालना

इस संशय को अगर पनपने देती तो शायद ये सफ़र शुरू होने से पहिले ही दम तोड़ चुका होता आप सभी का प्रोत्साहन देना मददगार साबित हुआ है ।
बहुत बहुत आभार ।

21 comments:

उन्मुक्त said...

साल पूरा करने की बधाई। लिखती चलें।

मुकेश कुमार सिन्हा said...

sach kaha aapne.........issi sansay ke karan maine blog 2008 me banaya, lekin kuchh na kar paya....lekin aaj mujhe pata hai, mere post me gunwatta nahi hoti, lekin logo ka protsahan milta rahta hai.......:)

मुकेश कुमार सिन्हा said...

oh badhai dena bhul gaya.......bahut bahut badhai........blog ke varshganth ke liye.........:)

Avinash Chandra said...

badhai ho apko

Dev said...

bahut bahut badhaia aapko ..isi trah apni rachna se blogjagat ko roshan karte rahiye .

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

आपका एक वर्ष लेखन का सफर बहुत अच्छा रहा...बधाई...यह निरंतर चलता रहे...शुभकामनायें..

बहुत प्रेरणादायक रचना...

Rajeysha said...

संशय ही वह कीमि‍या है जो आदमी को माया के जाल से बाहर नि‍काल सकता है, वर्ना तो सारी चीजें इस सम्‍मोहक नर्क में डुबोने को आतुर हैं। संशय को जीवन में जबर्दस्‍ती घुसेड़ना जरूरी है, संशय का पालन पोषण करना जरूरी है, क्‍योंकि‍ यह वह धारदार चाकू है जो मन पर जमते हुए मैल को खुरच खुरच कर नि‍काल देता है। पर संशय का मतलब फि‍र से एक दुराग्रह, अपने ही वि‍चारो में उलझ कर रह जाना नहीं है। खंजर धारदार हो तो उसे सम्‍हाल के रखना पड़ता है, बच्‍चों और ऐसी ही नाजुक चीजों को उससे दूर रखना पड़ता है और उसका इस्‍तेमाल करते वक्‍त यह भी देखना पड़ता है की धार हमारा ही नुक्‍सान ना कर दे। अगर कोई खंजर से आत्‍महत्‍या कर ले तो इसमें खंजर का क्‍या दोष ????

Satish Saxena said...

बेहतरीन भाव और ईमानदार लेखन के लिए शुभकामनायें !

हरकीरत ' हीर' said...

आपकी कविताओं की ये विशेषता है की उनमें कोई न कोई सन्देश छिपा रहता है .....!!

रचना दीक्षित said...

सबसे पहले तो मेरी बधाई स्वीकारें.आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूँ मैंने भी ब्लॉग खोला था २००८ में. पर पहली पोस्ट जहाँ तक याद है अप्रेल २००९ को पोस्ट की थी, तबसे आप लोगों का साथ जो मिल तो मैं भी उसी में बहती चली गयी
आभार

Parul kanani said...

bahut bahut shubhkamnayein..
ye kalam bas yun hi chalti rahe! :)

सदा said...

बहुत ही सुन्‍दर सत्‍य कहा आपने, हमेशा यूं ही हमें राह दिखाती रहें, बहुत-बहुत आभार ।

Parul kanani said...

aapka commenta aaya hi kab :(

स्वाति said...

bilkul sateek likha hai aapne.
warsh pura karne ki badhai..keep writing..

मनोज कुमार said...

आपका कविताएं गहरे विचारों से परिपूर्ण होती हैं।

सम्वेदना के स्वर said...

साल पूरा करने की बधाई... हर काम की शुरुआत में संशय होता है, लेकिन एक बार उसे भगा दिया तो उसका हौसला पस्त और हमारा हौसला बुलंद होता है... संशय को टालना नहीं, उसका मुक़ाबला करना, उसे परास्त करना और हक़ीक़त का आईना दिखाना ज़रूरी है... ऐसे में वह टिक नहीं सकता... हमारी शुभकामनाएं हैं कि आपका सान्निध्य ऐस ही मिलता रहेगा और अपनत्व बना रहेगा... और हमें भरोसा है कि इस बात में तो कोई संशय नहीं... हमारे प्रोफाइल चित्र पर आपकी टिप्पणी पहली है, और मज़ेदार है... हम दोनों ने अलग अलग शहर में रहकर भी एक साथ ठहाके लगाए आपकी बात पर...

देवेन्द्र पाण्डेय said...

बहुत-बहुत बधाई.

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

हमरे तरफ से पहिले त आपको सालगिरह मुबारक... संसय को मारिए गोली... कॉन्फिडेंस के आगे कोनो संसय टिकिए नहीं सकता है... ई संसय खाली डराता है... आप एही डर से लिखना छोड़ देतीं त हम लोग आपका अपनत्व से अनाथ नहीं हो जाते... ई जो आप छोटा छोटा होमियोपैथी का गोली माफिक कविता लिखती हैं, जिसका असर त हमही जानते हैं, ऊ कहाँ से मिलता...भगवान से हम अपना पर्सनल कोनो फेभर नहीं माँगते हैं, तईयो आपके लिए एही माँगते हैं कि ई अपनत्व सालों साल हमरे जईसा केतना लोग के ऊपर स्नेह का बरसात करता रहे.

mridula pradhan said...

bahut sunder likha hai.

ज्योति सिंह said...

dhero badhai aapko is avasar par ,aur sach kah rahi hai aap ,ye dwand me bhidta rahta hai man .

दिगम्बर नासवा said...

सच है इच्छा शक्ति से बहुत कुछ हो सकता है ... संशय को दूर भागना चाहिए ..... आपका लिखने का सफ़र ऐसे ही चलता रहे ....