Thursday, May 13, 2010

दोषारोपण

जब वातावरण मे

बे बुनियाद

दोषारोपण का

खेल शुरू हो जाता है ।

तब विवेक

सच मानिये

सारे घोड़े बेच कर

सुख की नींद

चैन से सो जाता है ......................

29 comments:

nilesh mathur said...

वाह! क्या बात है, बहुत ही कम शब्दों में आप बहुत बड़ी बड़ी और शिक्षाप्रद बातें कह जाती हैं!

Satish Saxena said...

आप वाकई अपनापन से भरी हैं ,मैं खुशकिस्मत हूँ आपके स्नेह के लिए ! आभार !
आस्ट्रेलिया भ्रमण शुभ हो और आप हँसते हुए वापस लौटें !

मनोज कुमार said...

विवेक
सच मानिये
सारे घोड़े बेच कर
सुख की नींद
चैन से सो जाता है ......
ज्ञान का अथाह सागर है आपका ब्लॉग और आपकी लेखनी से निकले शब्द।
उताम प्रस्तुति।

kshama said...

Yan zindika anubhav bol raha hai! Aisi baaten apne palle se baandh ke rakh leni chahiyen!

सम्वेदना के स्वर said...

सदियों स्वाति की बूंद बरसती है, तब कहीं जाकर एक सीप का खुला मुँह उसे मोती में बदल देता है... आपकी छोटी छोटी कविताएँ, जीवन के बड़े बड़े ज्ञान को इस ब्लॉग के सीप में क़ैद कर, एक मोती की मानिंद प्रस्तुत करती हैं...हम कृतार्थ हुए ऐसी रचनाओं को पढकर!!

सम्वेदना के स्वर said...

अपकी यात्रा सुखद और मंगलमय हो... बस जल्दी से आ जाइएगा.. एक परिवार यहाँ भी आपके इंतज़ार में है...

दिलीप said...

kam shabdon me bahi sarthak baat kahi...

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ said...

सार गर्भित सत्य वचन!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत खूबसूरती से इतनी बढ़िया सीख दी है.....

सुन्दर अभिव्यक्ति..

रश्मि प्रभा... said...

bahut hi badhiyaa

sm said...

nice educational poem
yes thinking mind sleeps
सारे घोड़े बेच कर
सुख की नींद
चैन से सो जाता है

But poems like yours help them to wake up .

कडुवासच said...

....लाजवाब !!

Dev said...

लाजवाब रचना ........

अजय कुमार said...

’घोड़े बेच कर सोना ’ इस मुहावरे की कवितामय प्रस्तुति अच्छी लगी ।

Parul kanani said...

bilkul sahi!

Asha Lata Saxena said...

सुंदर भाव लिए रचना |बधाई
आशा

Swatantra said...

wah wah!

CLUTCH said...

sayad kuch kami rhe gayi jis ko pura karna aaj ka insaan bhul gaya hai

कविता रावत said...

Sateek ukti....
Saarthak prastuti ke liye bahut dhanyavaad.

Saumya said...

very true!!!

अरुणेश मिश्र said...

उत्कृष्ट रचना ।

V Vivek said...

very nice.....

सर्वत एम० said...

आपने गागर में सागर देने का करिश्मा कर दिखाया. छुई मुई सी रचना में इतनी गम्भीर बात, कमाल.
आप विदेश भ्रमण पर हैं, जान कर खुशी हुई. वापसी पर संस्मरण जरूर पोस्ट कीजिएगा.
आप मेरे ब्लॉग तक आईं, पढ़ा और पसंदगी का इज़हार किया, सौ बार शुक्रिया.

sandhyagupta said...

gagar me sagar.badhai.

dipayan said...

एक बार फिर कम शब्दो में, जीवन की सच्चाई को बिखेरते हुए, आपकी रचना बेहद पसन्द आई । slip disc के कारण दस दिनो से bed rest पर था, इसलिये देरी से आया । आप सबके आशिर्वाद से अब बेहतर हूँ । और हाँ, आपने जो दादीजी के मुहावरे को पूरा किया, उसके लिये भी बधाई।

arpit said...

beautiful

http://bejubankalam.blogspot.com/

Urmi said...

बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना! बधाई!

Dr. Tripat Mehta said...

bahut snehatav hai aapki kavitaon mein :)


http://liberalflorence.blogspot.com/

पवन धीमान said...

जी बहुत सही..