Tuesday, August 18, 2009

ठहराव

हलचल ने किया
है प्रस्थान
तो हुआ है
ठहराव का
आगमन ।

लगता है
सब कुछ
व्यवस्थित है
इस विश्वास का
है स्वागतम ।

धडकनों ने भी
गति धीमी
कर ली अब
विश्राम कर रहा
चिंतन-मनन ।

हलचल से दूरी
विश्वास से लगाव
इसी प्रकृति से ही
तो आता है सभी के
जीवन मे ठहराव ।

2 comments:

shilpa said...

Its very beautiful

Swatantra said...

Amazing!! Just loved the last lines!!