Saturday, January 11, 2014

हवा

स्वछंद माहौल गर हो
 हवा  को मिलता है मौका
  राहत देने  का हमे गर्मी में
बनकर   सुहावना    झोंका


बंदिशे लगी तो  इनपर
आती है सब पर शामत
तूफ़ान बन कर लाती है
हम  पर ये  आफत


तेवरों में जब इसके
आती है   कुछ  नमी
सर्दी की ठिठुराहट में
पाते  है हम  कमी


बड़े  बड़े  अडिग  सूरमा  भी
अब हवा के रुख को तकते है
जिधर को ये चल पड़ी
उसी ओर  खुद भी  बहते  है 

Monday, January 6, 2014


अनुभव




मैंने चुप्पी से

कभी  कभी

शव्दो को मात

खाते  देखा है


बहुत कुछ

जाता है सुधर

जब मौन हो

जाता है मुखर 

Friday, January 3, 2014

मासूम



दरिंदे से लुट  हाथापाई कर
जान  बचा कर आई उस 
अनाथ  बच्ची को पनाह दी 
रात के घने अँधेरे ने


थमने पर कदमो की आह्ट ,
राहत  पा  पत्थर को अपना 
 सिराहना  बना वो एक 
सूनसान कोने में जा  सोई


इज्जत है उसने अपनी खोई
वो थी इससे बेख़बर 
सूरज की पहली किरण ने 
 कर दिया पर जग उजागर

सबकी नज़रो में  हमदर्दी देख
उसे लगा ये है कोई चमत्कार
फुसफुसाहट हो रही थी
हो गया एक और बलात्कार