जुदाई को ले
जब भी दिल
भारी होता है
उदासी मन पर
छा जाती है
ठीक तभी
मीठी यादे मुझे
बहलाने पास
चली आती है
नहीं रहते हम
यों तब तनहा
स्मृतियों मे रम
जाता है मनवा ।
Wednesday, May 25, 2011
Wednesday, May 11, 2011
सवाल ( 2 )
दूसरो की कमियाँ
निकालने मे हम को
ना जाने इतना
आनंद क्यों आता है ?
पर जब दूसरे हमे ले
ये ही काम करे तो
हमारा खून तुरंत
खौल क्यों जाता है ?
निकालने मे हम को
ना जाने इतना
आनंद क्यों आता है ?
पर जब दूसरे हमे ले
ये ही काम करे तो
हमारा खून तुरंत
खौल क्यों जाता है ?
Monday, May 2, 2011
तटस्थ
अपनों के दुःख
दिल के करीब
आ बसते है और
अपने ही लगते है।
मिलते तो है सभीसे
पर अपने विचार
नहीं बाँट पाते
अब हम किसीसे ।
तभी तो सभी
की नजरो मे
अब यूं ही
तटस्थ से लगते है ।
अपनी प्रिय सहेली को खोने के बाद एहसास हुआ कि हर किसी से मन की बात नहीं की जा सकती । हमारी सोंच की सतह पर आकर उसी कोण से मसले को समझना सुनना और देखना सब के बस की बात भी तो नही ।
दिल के करीब
आ बसते है और
अपने ही लगते है।
मिलते तो है सभीसे
पर अपने विचार
नहीं बाँट पाते
अब हम किसीसे ।
तभी तो सभी
की नजरो मे
अब यूं ही
तटस्थ से लगते है ।
अपनी प्रिय सहेली को खोने के बाद एहसास हुआ कि हर किसी से मन की बात नहीं की जा सकती । हमारी सोंच की सतह पर आकर उसी कोण से मसले को समझना सुनना और देखना सब के बस की बात भी तो नही ।
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