दुनियां मे
अच्छा - बुरा
दुःख - दर्द
तेरा - मेरा
ऊँच - नीच
झूट - सच
प्यार - फटकार
जात - पात
चारों ओर
सभी कुछ
नजर हमे
है आए ।
आप कंहा
किस पर
क्योकर
कितनी
अपनी
तवज्जु दे
क्या बटोरे
क्या छांटे
क्या सबमे
कितना बांटे
ये तो आपकी
सूझ - बूझ
परखने की
योग्यता
पर ही
निर्भर हो
रह जाए ।
Sunday, December 19, 2010
Saturday, December 11, 2010
आत्मीयता
मेरी बड़ी बेटी के जीवन मे एक समय ऐसा था कि हर रविवार वो एक ख़ास रेस्टारेंट की एक ख़ास स्वीट डिश खाए बिना नहीं रह पाती थी ये दौर पूरे नौ महिने चला पर जैसे ही मातृत्व की जिम्मेदारी आई सब छूट गया।ना ही वो स्वाद याद रहा उसे । कल करीब १५ महिने बाद जब हम सेनफ्रांसिस्को के हॉस्पिटल से लौट रहे थे बहुत देर हो गयी थी सोचा कि खाना बाहर ही खा लिया जाए हम लोग उसी पुराने रेस्टोरेंट पहुचे देखते क्या है कि खाना ख़तम होते ही मेनेजर स्वयं उठ कर आए बिटिया से बात कीउसके बेटे से प्यार से मिले और उसकी पसंदीदा स्वीट डिश ऑफर की अपनी तरफ से । मै तो हतप्रभ थी .............उसे क्या पसंद था ये याद रखना..................लम्बे अन्तराल के बावजूद ............. सच ही विस्मित कर गया । लगता है आत्मीयता की कोई कोई राष्ट्रीयता नहीं होती सीमाए नहीं होती ।
मुझे तो इसे बटोरना बिखेरना दौनो ही बहुत पसंद है ।
मेरी बिटिया की knee surgery हुई है इसी से ब्लॉग पर नियमितता नही रही लेप टॉप का charger भी यंहा लेलिया है अब सावधान हो जाइये टिप्पणियों की बौछार से जो बचना है ।
मुझे तो इसे बटोरना बिखेरना दौनो ही बहुत पसंद है ।
मेरी बिटिया की knee surgery हुई है इसी से ब्लॉग पर नियमितता नही रही लेप टॉप का charger भी यंहा लेलिया है अब सावधान हो जाइये टिप्पणियों की बौछार से जो बचना है ।
Thursday, December 9, 2010
डोर
रिश्तो की डोर
मजबूत करने
को ही जिसने
जीवन का सही
सार समझा ।
सच मानिये
उनके जीवन मे
सब मसले
हल हो जाते है
कुछ न रह
जाता उलझा ।
मजबूत करने
को ही जिसने
जीवन का सही
सार समझा ।
सच मानिये
उनके जीवन मे
सब मसले
हल हो जाते है
कुछ न रह
जाता उलझा ।
Wednesday, December 1, 2010
एक साईट सोचने पर मजबूर करती
मुझे पूरा विश्वास है कि आपको सोचने पर मजबूर होना पड़ेगा यंहा आकर.........
हमारा हर बात कों लेकर नकारात्मक रवैया क्या ठीक है........?
क्या ये अपनी जिम्मेदारियों से मुह मोड़ने जैसा नहीं है...........?
http://theuglyindian.com
हमारा हर बात कों लेकर नकारात्मक रवैया क्या ठीक है........?
क्या ये अपनी जिम्मेदारियों से मुह मोड़ने जैसा नहीं है...........?
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