tag:blogger.com,1999:blog-63379277908512310412024-03-08T16:24:21.828+05:30Apanatvaअपनत्वApanatvahttp://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.comBlogger169125tag:blogger.com,1999:blog-6337927790851231041.post-73944957617552091962014-01-11T10:10:00.000+05:302014-01-14T18:30:36.332+05:30हवा <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
स्वछंद माहौल गर हो<br />
हवा को मिलता है मौका<br />
राहत देने का हमे गर्मी में<br />
बनकर सुहावना झोंका<br />
<br />
<br />
बंदिशे लगी तो इनपर <br />
आती है सब पर शामत<br />
तूफ़ान बन कर लाती है<br />
हम पर ये आफत<br />
<br />
<br />
तेवरों में जब इसके<br />
आती है कुछ नमी<br />
सर्दी की ठिठुराहट में<br />
पाते है हम कमी<br />
<br />
<br />
बड़े बड़े अडिग सूरमा भी<br />
अब हवा के रुख को तकते है<br />
जिधर को ये चल पड़ी<br />
उसी ओर खुद भी <span class="Apple-style-span" style="color: blue;">बहते </span> है </div>
Apanatvahttp://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.com17tag:blogger.com,1999:blog-6337927790851231041.post-58801295408209128212014-01-06T07:10:00.001+05:302014-01-06T07:10:51.620+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br /></div>
Apanatvahttp://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6337927790851231041.post-31274998817981598002014-01-06T07:09:00.003+05:302014-01-06T07:13:45.071+05:30अनुभव <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
<br />
<br />
मैंने चुप्पी से<br />
<br />
कभी कभी<br />
<br />
शव्दो को मात<br />
<br />
खाते देखा है<br />
<br />
<br />
बहुत कुछ<br />
<br />
जाता है सुधर<br />
<br />
जब मौन हो<br />
<br />
जाता है मुखर </div>
Apanatvahttp://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.com11tag:blogger.com,1999:blog-6337927790851231041.post-63177625009428317322014-01-03T12:17:00.000+05:302014-01-03T15:45:17.170+05:30 मासूम <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
<div>
<br /></div>
<div>
दरिंदे से लुट हाथापाई कर</div>
<div>
जान बचा कर आई उस </div>
<div>
अनाथ बच्ची को पनाह दी </div>
<div>
रात के घने अँधेरे ने<br />
<br /></div>
<div>
<br /></div>
<div>
थमने पर कदमो की आह्ट ,</div>
<div>
राहत पा पत्थर को अपना </div>
<div>
सिराहना बना वो एक </div>
<div>
सूनसान कोने में जा सोई<br />
<br />
<br /></div>
<div>
इज्जत है उसने अपनी खोई<br />
वो थी इससे बेख़बर </div>
<div>
सूरज की पहली किरण ने </div>
<div>
कर दिया पर जग उजागर<br />
<br />
सबकी नज़रो में हमदर्दी देख<br />
उसे लगा ये है कोई चमत्कार<br />
फुसफुसाहट हो रही थी<br />
हो गया एक और बलात्कार </div>
<div>
</div>
<div>
</div>
</div>
Apanatvahttp://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-6337927790851231041.post-40249656401585196292013-02-18T15:08:00.000+05:302013-02-22T20:10:29.307+05:30तनहा <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
जब भी पाती हूँ<br />
अपने को तनहा<br />
जाने कैसे खबर<br />
पा जाते है वो<br />
मुरझाए टूटे<br />
बिखरे -बिखरे<br />
जर्जर से<br />
घायल ख्वाब<br />
<br />
<br />
मेरे पास खिचे<br />
चले आते है<br />
फ़ौरन बिना कोई<br />
दस्तख दिए<br />
जैसे कि<br />
पनाह लेने <br />
और मै<br />
सब भुला<br />
<br />
<br />
इनकी तीमारदारी में<br />
इनको सजाने<br />
संवारने में<br />
हो जाती हूँ<br />
इतनी मशगूल कि<br />
समय के गुजरने का<br />
एहसास ही <br />
कंहा हो पाता है<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br /></div>
Apanatvahttp://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.com19tag:blogger.com,1999:blog-6337927790851231041.post-14119587815046396042012-12-11T21:44:00.001+05:302012-12-21T18:12:58.246+05:30चाँदनी की करतूत <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
घने जंगल की<br />
सूनसान पगडंडी पर<br />
दो पथिक<br />
थे जो अज़नबी <br />
सहमे सहमे<br />
डरे डरे से <br />
गुमसुम हो<br />
तेज़ तेज़<br />
कदम उठा<br />
आगे बड़ते रहे<br />
अहम् था<br />
या संकोच<br />
मौन किसी ने<br />
न किंचित तोड़ा<br />
थिरकती चांदनी<br />
विस्मित सी<br />
पेड़ की डालियों <br />
के बीच से<br />
निरखती रही<br />
उनकी बेरुखी<br />
फिर उनके<br />
मासूम बेज़ुबा<br />
सायों को<br />
एक साथ <br />
ज़मी पर <br />
मिला कर<br />
ही छोड़ा !<br />
<br />
<br />
<br />
<br /></div>
Apanatvahttp://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.com39tag:blogger.com,1999:blog-6337927790851231041.post-22566277973966253052012-03-22T19:28:00.005+05:302012-03-22T20:35:28.105+05:30नहीं गिलाअपने जब<br />चिर विदा ले तो<br />दे जाते है<br />हमे असीम गम<br />साल बीतने<br />को आया पर<br />याद आते ही<br />आँखे होती<br />आज भी नम<br />तुम्हे खोने<br />का बोझ<br />मन पर है<br />बड़ा ही भारी ।<br />चल चित्र<br />की तरह<br />बीता समय<br />सामने आने<br />का क्रम अब<br />भी है ज़ारी ।<br />अब तुम नहीं<br />पर यादें है साथ ।<br />आज भी मार्गदर्शन<br />होता है और<br />बन जाती है<br />बिगडती बात ।<br />खुश हूँ कि<br />सालो तुम्हारा<br />आत्मिय साथ मिला।<br />तुम्हारा असहनीय<br />दर्द देखा समझा<br />इसीसे जिन्दगी<br />से नहीं किया<br />कोई <span>गिला।<br /></span>Apanatvahttp://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.com32tag:blogger.com,1999:blog-6337927790851231041.post-18856531571501086592012-02-16T21:42:00.001+05:302012-02-16T21:42:44.806+05:30दर्दबहार को<br />विदा करना<br />पतझड़ को<br />कंहा रास आया ।<br /><br />सारा दर्द<br />पीलापन लिये<br />पत्ते पत्ते पर<br />उभर आया ।Apanatvahttp://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.com28tag:blogger.com,1999:blog-6337927790851231041.post-59778335650923520462012-01-04T21:20:00.004+05:302012-01-04T22:22:45.661+05:30सरगर्मीचुनाव की गरमा गरमी<br />होगई है अब शुरू<br />यंहा चेला तो कोई दिखता नहीं<br />सब ही है बस गुरु ।<br /><br />अन्ना ने किया आन्दोलन<br />और थे कुछ मुद्दे भी <span>उठाए</span><br />लोकपाल का मुद्दा पिछड़ गया<br />वोटपाल जो है सर उठाए ।<br /><br />एक दूसरे को नीचा दिखाने की<br />बस लग गयी है आपस मे होड़<br />कीचड उछालने मे है लगे सभी<br />अपनी सभ्यता संस्कृति को छोड़ ।<br /><br />शर्म आज नेताओ को आती नहीं<br />मोटी होगई है इनकी चमड़ी<br />जनहित करने आए थे भूल गए<br />घोटालों की भ्रष्ट राह जो पकड़ी ।Apanatvahttp://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.com35tag:blogger.com,1999:blog-6337927790851231041.post-58828767205554726332011-12-25T20:10:00.004+05:302011-12-25T22:39:23.869+05:30एक मुहावरा खिसियानी बिल्ली खम्भा नोंचेदादी कहती थी <span style="color: rgb(204, 0, 0);">खिसियानी बिल्ली </span><span style="color: rgb(204, 0, 0);">छीका</span><span style="color: rgb(204, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(204, 0, 0);">नोंचे</span> ।<br />शायद ये <span>मुहावरा</span> <span>आज</span> <span>की</span> <span>परिस्थिती</span> <span>मे</span> <span>सरकार</span> के लिये उपर्युक्त है ।<br /><br />देशहित के लिये<br /><br />सशक्त लोकपाल<br /><br />के मुद्दों को ले<br /><br />अडिग है हमारे अन्ना ।<br /><br />बे सिर पैर के नित<br /><br />इलज़ाम लगा रही<br /><br />हमारी सरकार गयी है<br /><br />पूरी तरह से भन्ना ।Apanatvahttp://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.com19tag:blogger.com,1999:blog-6337927790851231041.post-76960775078346870482011-08-30T18:36:00.004+05:302011-08-30T19:17:26.385+05:30दानाआइये हम सभी सोंचे कि क्या हम दाना बन सकते है जो माटी मे किसी अभिप्राय को ले मिलने को तैयार है ........ ?
<br />देखिये अन्नाजी किस दाने की बात कर रहे है और किससे कर रहे है ?
<br />ये बहुत साल पहिले का भाषण है ।
<br />मै बहुत शुक्रगुज़ार हूँ आत्मीय शैलेन्द्रजी की जिन्होंने ये लिंक मुझे भेजा । इनकी शख्सियत के बारे मे कुछ तारीफ करने बैठी तो शर्तिया शव्द कम पड़ेंगे । उनकी भेजी मेल आपके समक्ष है निवेदन है कि ये लिंक आप भी अपने आत्मजो को भेजिये जैसे कि मै कर रही हूँ ।
<br />धन्यवाद
<br />
<br />Saritaji,
<br />
<br />Namashkar.
<br />
<br />This is an awesome and amazing gem of a speech by Annaji at a Youth camp at Ralegoan Siddhi some years ago.
<br />
<br />Pl click on this link:
<br />
<br />http://www.youtube.com/watch?v=0vJD6TzsmA0&feature=related
<br />
<br />
<br />Request you to please listen to it.This is a must watch video!!(25 mts)
<br />
<br />
<br />I am sure, you will agree- these words spoken by Annaji... particularly the youth will have more than something to take home from it!!
<br />
<br />Perhaps you could post it on your blog and also circulate it to other groups,friends and family.
<br />
<br />
<br />Kindly let me have your views.
<br />
<br />Regards
<br />Shailendra
<br />
<br />
<br />Apanatvahttp://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.com35tag:blogger.com,1999:blog-6337927790851231041.post-33834409525602582052011-08-26T13:10:00.002+05:302011-08-26T13:15:23.262+05:30गिरगिटगिरगिट है <div>
<br /><div>या सरकार <div>
<br />बताने की </div><div>
<br /></div><div>नहीं दरकार ।
<br /></div></div></div>Apanatvahttp://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.com29tag:blogger.com,1999:blog-6337927790851231041.post-61651401071241400732011-08-21T11:58:00.016+05:302011-08-21T17:06:10.456+05:30मेरी दादी मेरी दादी का स्वर्गवास हुए तकरीबन पचास साल होने को है पर उनके व्यक्तित्व ने अमिट छाप छोडी है मुझ पर । मेरी दादी कितनी पढी लिखी थी पता नहीं हाँ जैनधर्म के कई पाठ जो संस्कृत मे थे वे उन्हें कंटस्थ थे और वो मंदिर मे अर्थ सहित उनकी व्याख्या कर अन्य साथी दर्शनाभिलाषी आई महिलाओं को सुनाती थी । और बात बात पर मुहावरे और कहावतों <span>का</span> <span>उपयोग</span> करना उनके <span style="color: rgb(0, 102, 0);">बाँये </span><span style="color: rgb(0, 102, 0);">हाथ</span><span style="color: rgb(0, 102, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 102, 0);">का</span><span style="color: rgb(0, 102, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 102, 0);">खेल</span> था । :)
<br />अरे वाह मैंने भी मुहावरा इस्तेमाल किया ...........हूँ भी तो उन्ही की पोती ।
<br />आजकल जो वर्तमान <span>स्थिती</span> चल रही है उससे अवगत सभी है । पूरे देश मे हलचल मची है पर ऐसे मे भी सरकार का रूखा रवैया गैर जिम्मेदाराना लग रहा है ।
<br />आज फिर दादी की याद आ गयी ।
<br />मेरे दिमाग मे आ रहा था कि आज अगर दादी होती तो आज के हालात के सन्दर्भ मे वे क्या कहती कौनसा मुहावरा इस्तेमाल करती सरकार के लिये ?
<br />घोड़े बेच कर सोना ( शायद नहीं )
<br />या
<br />कानो पर जूं तक <span>नहीं</span> <span>रेंगना</span> ( शायद उपयुक्त )
<br />हम अब बस अनुमान ही लगा सकते है ...........
<br />
<br />Apanatvahttp://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.com25tag:blogger.com,1999:blog-6337927790851231041.post-2762424392592258762011-08-12T11:01:00.007+05:302011-08-12T12:39:06.471+05:30खिवैयातुमसे बिछड़े
<br />
<br />हिसाब नहीं
<br />
<br />बीते कितने
<br />
<br />माह और दिन
<br />
<br />जिन्दगी जो थम
<br />
<br />ही सी गयी थी
<br />
<br />रेंगने लगी है
<br />
<br />अब तुम बिन
<br />
<br />जब भी अपने
<br />
<br />सभी लोग
<br />
<br />आपसमे मिलते है
<br />
<br />बड़े ही स्नेह
<br />
<br />और प्यार से
<br />
<br />तुम्हे याद करते है
<br />
<br />लाख मन को समझाए
<br />
<br />खलती है तुम्हारी कमी
<br />
<br />बहुत संभालती हूँ
<br />
<br />पर उतर ही आती है
<br />
<br />सूनी आँखों मे नमी
<br />
<br />याद आता है
<br />
<br />तुम्हारा सब को
<br />
<br />साथ लेकर चलना
<br />
<br />प्यार आत्मियता से
<br />
<br />सभी से मिलना
<br />
<br />तुम्हारा मुस्कुराता
<br />
<br /><span>स्नेही</span> <span>चेहरा</span>
<br />
<br />नयनो से कंहा
<br />
<br />ओझल हो पाता है
<br />
<br />जब भी होती हूँ
<br />
<br />परेशान या उदास
<br />
<br />तुम्हे महसूस करती हूँ
<br />
<br />अपने ही आस पास
<br />
<br /><span></span>तुम्हारी सुलझी सोच
<br />
<br />और सकारात्मक रवैया
<br />
<br />मेरे जीवन मे उतर आते
<br />
<br />है बन कर खिवैया ।
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />Apanatvahttp://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.com36tag:blogger.com,1999:blog-6337927790851231041.post-16493499943725589672011-08-05T10:02:00.009+05:302011-08-05T17:02:32.406+05:30छुई मुईनदी जब<br />पहाड़ी पथरीले<br />रास्ते से<br />गुजरती है<br />चट्टानों से<br />टकरा टकरा कर<br />कल कल नाद<br />करते हुए<br />बिना कोई<br />विराम किये<br />निरंतर बस<br /><span>आगे </span>बडती है<br />कितनी अल्हड<br />तब लगती है ।<br /><br />पर मैंने<br />इसका वो<br />शांत सौम्य<br />और गंभीर<br />स्वरुप भी<br />देखा है<br />जब इसने<br />स्वयं के<br />अस्तित्व को<br />समतल को<br />किया है <span>अर्पित</span><br />और यों<br />शांति कर ही<br />ली अर्जित ।<br /><br />अब देखने<br />मे आता है<br />दूर से फेंका<br />एक छोटा<br />सा कंकर भी<br />अनगिनत<br />तरंगे पैदा<br />कर जाता है ।<br /><br />ये कविता मैंने दो साल पहिले लिखी थी अब दो वर्ष बाद इसे दो पाठक मिले । सुषमाजी और संगीता जी . इन्होने कमेन्ट भी छोडे है मुझे लगा कि शायद पढने लायक रही होंगी इसीसे फिर से पोस्ट कर रही हूँ....कट पेस्ट नहीं किया है फिर से अपने भावो को शव्द दिए है.....तब इसका शीर्षक अनुभूति था अब मन कह रहा है इसका नाम छुई मुई रखू।Apanatvahttp://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.com44tag:blogger.com,1999:blog-6337927790851231041.post-5251907661651098212011-07-24T21:36:00.006+05:302011-07-24T23:30:59.841+05:30दबंगजब<br /><br /><br />शालीन सोच<br /><br />हट के वज़न तले<br /><br />लिहाज़ कर<br /><br />दब जाती है<br /><br /><br />तब<br /><br /><br />दबंग सोच<br /><br />खुले आम<br /><br />गुर्रा गुर्रा कर<br /><br /> सबको भरमाती हैApanatvahttp://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.com45tag:blogger.com,1999:blog-6337927790851231041.post-67791532549588606582011-06-29T04:27:00.003+05:302011-06-29T04:52:15.208+05:30रंगजब दिल और<br />दिमाग मे<br />छिड जाती है<br />कभी जंग ।<br /><br />धड़कने बड़<br />ही जाती है<br />मन शांति हो<br />जाती है भंग<br /><br />सुकून है<br />आत्मविश्वास<br />सदा रहता<br />है मेरे संग ।<br /><br />नई कूची से<br />भरता रहता<br /><span>ये</span> जीवन मे<br /><span></span>नये नये रंग ।Apanatvahttp://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.com39tag:blogger.com,1999:blog-6337927790851231041.post-58436105315824978732011-05-25T14:26:00.005+05:302011-05-25T14:46:43.102+05:30मनवाजुदाई को ले <span><br /><br />जब</span> भी दिल<br /><br />भारी होता है<br /><br />उदासी मन पर<br /><br />छा जाती है<br /><br />ठीक तभी<br /><br />मीठी यादे <span>मुझे</span><br /><br />बहलाने पास<br /><br />चली आती है<br /><br />नहीं रहते हम<br /><br />यों तब तनहा<br /><br />स्मृतियों मे रम<br /><br />जाता है मनवा ।Apanatvahttp://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.com57tag:blogger.com,1999:blog-6337927790851231041.post-62746082183283481012011-05-11T22:15:00.003+05:302011-05-11T22:27:29.044+05:30सवाल ( 2 )दूसरो की कमियाँ<br /><br />निकालने मे हम को<br /><br />ना जाने इतना<br /><br />आनंद क्यों आता है ?<br /><br /><br />पर जब दूसरे हमे ले<br /><br />ये ही काम करे तो<br /><br />हमारा खून तुरंत<br /><br />खौल क्यों जाता है ?Apanatvahttp://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.com54tag:blogger.com,1999:blog-6337927790851231041.post-3166783295149619622011-05-02T07:35:00.011+05:302011-05-02T10:13:03.361+05:30तटस्थअपनों के दुःख<br /><br />दिल के करीब<br /><br />आ बसते है और<br /><br />अपने ही लगते है।<br /><br />मिलते तो है सभीसे<br /><br />पर अपने विचार<br /><br />नहीं बाँट पाते<br /><br />अब हम किसीसे ।<br /><br />तभी तो सभी<br /><br />की नजरो मे<br /><br />अब यूं ही<br /><br />तटस्थ से लगते है ।<br /><br />अपनी प्रिय सहेली को खोने के बाद एहसास हुआ कि हर किसी से मन की बात नहीं की जा सकती । हमारी सोंच की सतह पर आकर उसी कोण से मसले को समझना सुनना और देखना सब के बस की बात भी तो नही ।Apanatvahttp://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.com46tag:blogger.com,1999:blog-6337927790851231041.post-17171318218429695422011-04-25T16:20:00.006+05:302011-04-25T17:10:06.268+05:30आभासएक माह बीता<br /><br />आभास साथ है<br /><br />जैसे कि तुम सब<br /><br />देख और सुन रही<br /><br />मेरी खिड़की<br /><br />के हिस्से आए<br /><br />मुट्ठी भर<br /><br />आसमान पर<br /><br />घनघोर अंधेरी <div><br /><div>रात के<br /><br />सीने को चीर<br /><br />बदली की ओंट से<br /><br />कल एक प्यारा<br /><br />तारा झाँका था<br /><br />उसकी चमक<br /><br />चकाचोंध कर गयी<br /><br />तुम कंही<span> वो</span><br /><br />ही तो नही ।</div></div>Apanatvahttp://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.com43tag:blogger.com,1999:blog-6337927790851231041.post-12069670637088953492011-04-19T18:20:00.002+05:302011-04-19T18:25:42.930+05:30झीलशैल !<br /><br />जब भी<br /><br />किसी से<br /><br />तुम्हारा जिक्र<br /><br />होता है<br /><br />आँखे झील<br /><br />बनती है<br /><br />और फिर<br /><br />यादे यँहा<br /><br />तैरना शुरू<br /><br />कर देती है<br /><br />समय थम<br /><br />सा जाता है<br /><br />साथ बीता<br /><br />हर पल तब<br /><br />मेरे पास<br /><br />यूं स्वयं<br /><br />लौट आता है ।Apanatvahttp://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.com36tag:blogger.com,1999:blog-6337927790851231041.post-10538890434896142492011-04-13T07:19:00.007+05:302011-04-16T10:57:43.232+05:30लाचारजब मक्कारी<div><br />डंके की चोट पर<br /><br />खुबसूरत शब्दों<span> का<br /></span></div><div><br />लिवास ओढ़े </div><div><br />सभीको भरमा</div><div><br />बड़ी आसानी से</div><div><br />अपना सिक्का जमाए ।<br /><br /></div><div><br /></div><div><br />तब उस समय</div><div><br />असलियत बेचारी<br /></div><div><br />सादगी मे लिपटी </div><div><br />दबे पाँव वंहा से</div><div><br />शर्मींदगी से</div><div><br /></div><div>लाचार हो<br /><br />अदृश्य ही हो जाए ।</div>Apanatvahttp://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.com30tag:blogger.com,1999:blog-6337927790851231041.post-1919341871229650742011-04-04T07:36:00.009+05:302011-04-04T08:33:22.082+05:30करीनेवो चली गयी <div><br />सदा के लिये</div><div><br /></div><div>एक लम्बे</div><div><br />सफर पर</div><div><br />हम सभी को</div><div><br />तनहा छोड़</div><div><br />भावनाए पीछा</div><div><br />कर रही</div><div><br />लगा रही</div><div><br />अब भी दौड़</div><div><br />जानती हूँ वो</div><div><br />अब लौट कर</div><div><br />कभी नही आएगी</div><div><br />अब यादे ही</div><div><br />साथ निभाएंगी</div><div><br />साथ बीते</div><div><br />कीमती लम्हों को</div><div><br />करीने से</div><div><br />लगाना है</div><div><br />यूं अभी व्यस्त</div><div><br />रहने का</div><div><br />मुझे मिल गया</div><div><br />बहाना है ।</div><div><br /></div><div><br />२१ साल का साथ था हमारा । मुझसे बहुत छोटी भी थी ।<br />शैल तुम बहुत प्यारी हिम्मत वाली रही बड़ी सहजता से अपने दर्द को सहा पर उस दिन ना जाने कैसे तुम्हारा दर्द आँखों मे उतर आया और मेरी भावनाओ की पगडंडी पर दबे पाव चलता हुआ सीधे दिल मे उतर गया । अब तुम सदैव मेरे साथ हो ।<br /><br />ये कैंसर दुबारा आ जाए तो किसी को नही बख्शता । जमीन आसमान एक कर दिया था शैलेन्द्र ने पर उनकी एक ना चली ।<br />cyber knife doctors टीम के सभी प्रयास विफल रहे ।<br />कल तेरही थी हम सब इकठ्ठा हुए थे और तुम्हारी जगह एक तस्वीर थी ......उफ तुम्हारे सभी परिचितों रिश्तेदारों और सहेलियों के चेहरों पर तुम्हे खोने का दर्द साफ़ दिख रहा था.......<br /><br />तुमने हमारे दिलो पर राज किया था और सदैव करोगी ।</div>Apanatvahttp://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.com37tag:blogger.com,1999:blog-6337927790851231041.post-36849287831191255442011-03-27T14:40:00.002+05:302011-03-27T14:48:04.031+05:30सवाल ( १ )अभावों का बस<br /><br /> जंहा देखो वंहा <br /><br />होता ही रहता<br /><br />है क्यों जिक्र ?<br /><br />इसमें नाहक समय <br /><br />बर्बाद हो रहा<br /><br />इसकी क्यों नही होती<br /><br />किसी को तनिक फ़िक्र ?Apanatvahttp://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.com36